आख़िरी ट्रेन

." रात के लगभग साढ़े बारह बजे थे। दिल्ली से लखनऊ जाने वाली आख़िरी पैसेंजर ट्रेन खाली-सी पड़ी थी। ज़्यादातर डिब्बे अँधेरे और वीरान थे। उसी ट्रेन में सफ़र कर रहा था विक्रम, जो नौकरी के सिलसिले में देर से स्टेशन पहुँचा था " ।" विक्रम जब डिब्बे में बैठा, तो उसे यह अजीब लगा कि पूरी ट्रेन में केवल वही अकेला है। खिड़कियों से बाहर धुँध छाई थी, और हवा में सन्नाटा घुला हुआ था। ट्रेन धीरे-धीरे चल पड़ी " ।" कुछ मिनट बाद अचानक उसने देखा कि सामने की बेंच पर एक बूढ़ी औरत बैठी है। विक्रम हैरान