दिल्ली का लाल किला उस समय सूरज की सुनहरी रोशनी से चमक रहा था। सुबह का समय था और शाही नगाड़ों की थाप गूंज उठी थी। यह संकेत था कि आज बादशाह अकबर का दरबार सजने वाला है। चारों तरफ़ हलचल थी—सिपाही अपनी जगह ले रहे थे, ख़ानसामे मेहमानों के लिए शरबत और फल सजा रहे थे, और नवरत्न अपनी-अपनी जगह पर बैठने को तैयार हो रहे थे।दरबार का दृश्य ही अद्भुत था। संगमरमर के फ़र्श पर कालीन बिछे थे, ऊँचे-ऊँचे खंभों पर सोने की कारीगरी चमक रही थी और बीच में शाही तख़्त, जिस पर अकबर बादशाह अपनी शानदार