समता के पथिक: भीमराव - 10

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एपिसोड 10 – संसद के गलियारों से संविधान सभा तकनई दिशा की खोजमहाड़ तालाब और कालाराम मंदिर आंदोलन ने बाबासाहेब अंबेडकर को केवल एक समाज सुधारक ही नहीं, बल्कि जनता का असली नेता बना दिया था। अब सवाल यह था कि क्या केवल सामाजिक आंदोलन से दलितों का उद्धार होगा?अंबेडकर समझ चुके थे कि असली ताक़त राजनीति में है। बिना राजनीतिक शक्ति के कोई भी समाज हमेशा दूसरों का गुलाम बना रहेगा।वे अक्सर कहते—“जिस समाज के पास सत्ता नहीं होती, वह समाज दूसरों की दया पर जीता है। हमें अपना भविष्य खुद लिखना होगा।”पहला राजनीतिक कदम – स्वतंत्र श्रमिक पार्टी1936