समता के पथिक: भीमराव - 9

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एपिसोड 9 – मंदिर के द्वार पर बराबरी की दस्तकसामाजिक पृष्ठभूमिसाल 1927 में महाड़ तालाब सत्याग्रह ने दलित समाज की आत्मा को हिला दिया था। पहली बार उन्होंने महसूस किया कि वे भी इंसान हैं, और पानी पीने का अधिकार छीन सकते हैं। लेकिन यह केवल शुरुआत थी। समाज की असली बेड़ियाँ अभी बाकी थीं।उनमें से सबसे बड़ी बेड़ी थी—मंदिर प्रवेश पर रोक।उस समय की स्थिति भयावह थी। दलित समाज को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। यदि कोई मंदिर में जाने की कोशिश करता, तो उसे पीटा जाता, गाँव से निकाला जाता या सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता।