समता के पथिक: भीमराव - 8

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एपिसोड 8 – महाड़ का जलसत्याग्रहसाल 1920 के दशक में भारत अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी की लड़ाई लड़ रहा था। लेकिन दलितों के लिए असली लड़ाई सिर्फ़ अंग्रेजों से नहीं, बल्कि समाज की जकड़ी हुई सोच और जाति-प्रथा से थी।गाँवों में आज भी दलितों को सार्वजनिक कुओं, तालाबों या मंदिरों से पानी लेने की अनुमति नहीं थी। अगर कोई प्यास से बेहाल होकर भी तालाब छू ले, तो ऊँची जाति के लोग उस पानी को ‘अपवित्र’ कहकर बहा देते थे।महाड़ (जिला रायगढ़, महाराष्ट्र) का चावदार तालाब इसी अन्याय का प्रतीक था। यह तालाब नगर परिषद का था, यानी सरकारी संपत्ति।