समता के पथिक: भीमराव - 5

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एपिसोड 5 — “बरौडा के द्वार”मुंबई की चहल-पहल और किताबों की खुशबू में भीमराव के दिन गुजर रहे थे, लेकिन अब उनकी मंज़िल सिर्फ शहर तक सीमित नहीं रही थी। सयाजीराव गायकवाड़ के छात्रवृत्ति प्रस्ताव ने उनके सामने एक नई दुनिया का दरवाज़ा खोल दिया था।एक सुबह, पिता रामजी मालोजी ने उन्हें पास बुलाया—“बेटा, महाराजा बरौडा ने तुझे बुलाया है। तू वहाँ जाकर अपनी आगे की पढ़ाई करेगा।”भीमराव के चेहरे पर खुशी की चमक फैल गई, लेकिन साथ ही एक गंभीरता भी।“बाबा, वहाँ भी क्या लोग हमें जात से पहचानेंगे?”पिता ने उनके कंधे पर हाथ रखा—“शायद… पर याद रख, अब