एपिसोड 2 — “पहली यात्रा, पहला अपमान”भीमराव अब सात साल के हो चुके थे। गाँव के बरामदे से पढ़ाई शुरू हुई थी, पर उनकी लगन ने धीरे-धीरे मास्टर साहब का भी दिल बदलना शुरू कर दिया। फिर भी, समाज की सीमाएँ स्कूल की दीवारों से बाहर भी पीछा करती थीं।एक दिन पिता रामजी मालोजी ने उन्हें बुलाया।“बेटा, हमें सतारा जाना है। तेरे बड़े भाई मलकाजी का तबादला हुआ है। तू भी साथ चलेगा, वहाँ पढ़ाई बेहतर होगी।”भीमराव का दिल खुशी से उछल पड़ा। उन्होंने पहले कभी इतनी लंबी यात्रा नहीं की थी, और रेल में बैठने का सपना तो जैसे