बंधन (अनकही दास्तान) - भाग 1दरभंगा (बिहार) का आसमान उस दिन बादलों से भरा हुआ था। सावन की फुहारें हवेली की छत से गिरकर आँगन में पोखर बना रही थीं। दूर कहीं मंदिर की घंटियाँ बज रही थीं, तो पास के चौक से ढोल-ताशे की आवाज़ गूंज रही थी। हवेली के अंदर हर ओर चहल-पहल थी। रंग-बिरंगे परिधान पहने रिश्तेदार, मेहमानों की गहमागहमी, और आँगन में गूंजती शहनाई – सब कुछ एक उत्सव की तरह लग रहा था।लेकिन इस चहल-पहल के बीच राधा का मन अजीब-सी उदासी से भरा हुआ था।राधा उम्र में बस बीस बरस की थी। आँखों