में और मेरे अहसास - 132

न जाने क्यों न जाने क्यों आज कल सरकार उखड़े से नजर आते हैं l गली से गुजरते वक्त भी अनजानों की तरह गुजर जाते हैं ll   आज लाखों दिलों पर राज कर रहे हो फिर भी दूर दूर हो l किस सोच में यू भीड़ में भी अकेला बैठे हुए आप पाते हैं ll   क़ायनात में चल रहा है अशांति, बैचेनी और बेसब्री का दौर l इतनी शांति और सब्र कहां से ढूंढकर पास अपने लाते हैं ll   लोग है कुछ ना कुछ तो कहेगे उनका तो काम है कहना l दिल पर मत लगाना जितने