बगीचे में बैठकर अख़बार पढ़ रहे आनंदराव के पास कौसल्या आई और चिड़चिड़ाते हुए अख़बार खींच लिया।आनंदराव हैरानी से देखते हुए पूछा – “क्या हुआ?”कौसल्या गंभीरता से बोली – “अर्जुन, प्रिया का भविष्य बारे में आपने कुछ सोचा है?”आनंदराव आराम से कौसल्या के हाथ से अख़बार लेते हुए बोला – “इसी बारे में? तुम्हें ऐसे गुस्से में देखकर मैंने सोचा कुछ बड़ा हुआ है।” और फिर से अख़बार पढ़ने लगे।इतने में अशोक आया और बोला – “पापा, सबको पैसे दे दिए।”आनंदराव अख़बार पढ़ते हुए ही बोले – “ठीक है बेटा।” फिर अचानक याद आया – “वो रामकृष्ण अंकल की कार