त्रिकाल - रहस्य की अंतिम शिला - 8

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मंदिर के अंदर का वातावरण बदल चुका था।पत्थर की दीवारों पर जली हुई मशालें अब अजीब लाल आभा बिखेर रही थीं।मानो हर लौ अपनी परछाई से मिलकर एक रहस्यमय मार्ग बना रही हो।आर्यन, वेदिका, डॉ. ईशान और ईशा सावधानी से आगे बढ़ रहे थे।पीछे छूटे हर कदम के साथ उन्हें लग रहा था कि कोई अनदेखी शक्ति उनकी चालों पर नज़र रख रही है।“यही है… अग्नि का द्वार।” — डॉ. ईशान की आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें भय की थरथराहट साफ़ झलक रही थी।उनकी आँखें सामने बने विशाल पत्थर के द्वार पर टिक गईं।वह द्वार साधारण नहीं था।पूरा दरवाज़ा लाल