वहीं आने वाले खतरे से अनजान रूहानी अपने हाथ पर रूमाल बांधने में लगी थी ताकि खून को बहने से रोक सके। वह साया धीरे धीरे चलते हुए नीचे आ रहा था। उसके पीछे उसके जैसे अनगिनत सायों की भीड़ चली आ रही थी। इससे अनजान रूहानी मोबाइल की टॉर्च जलाए अपनी चोट पर पट्टी बांधने में लगी हुई थी। हवा से उसके बाल उड़ कर बार बार उसके चेहरे को ढक रहे थे।वह साया रूहानी के खूबसूरत सफेद दमकते चेहरे को देख कर वहीं ठिठक गया जैसे उसने किसी परी को देख लिया हो। उसके एक इशारे से उसके पीछे चल रहे