बूंदों में छुपा प्यार - 5

---🟦 थीम: जब एक मोड़ पर ज़िंदगी रुकती नहीं, बल्कि बदल जाती है---️ भाग 1: बारिश की वापसीतीन हफ्ते बीत चुके थे। जान्हवी और विराज की मुलाकातें अब कम हो गई थीं।  वो दोनों एक-दूसरे से दूर नहीं थे, लेकिन पास भी नहीं।  एक अजीब सी खामोशी उनके बीच बस गई थी — जैसे कोई सवाल हवा में लटका हो।उस दिन बारिश फिर आई — वही पुरानी, धीमी, लेकिन भीतर तक भीगने वाली।जान्हवी स्टेशन की दीवार के पास पहुँची — जहाँ उसकी अधूरी स्केच अब भी थी।  उसने देखा — विराज वहाँ नहीं था।उसने ब्रश उठाया, लेकिन हाथ काँप रहे थे।> “क्यों लगता