---️ भाग 1: दिल्ली की दस्तकदिल्ली का स्टेशन जैसे एक नई दुनिया का दरवाज़ा था। जान्हवी ने पहली बार जयपुर से बाहर कदम रखा था — और वो भी विराज के साथ। ट्रेन की खिड़की से बाहर झांकते हुए उसने देखा, शहर की रफ्तार उसके दिल की धड़कनों से कहीं तेज़ थी।विराज ने उसका बैग उठाया और मुस्कराते हुए कहा, > “तैयार हो? ये शहर तुम्हारे रंगों को देखने के लिए बेताब है।”जान्हवी ने सिर हिलाया, लेकिन अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी। जयपुर की गलियों में उसने जो पहचान बनाई थी, क्या वो यहाँ टिक पाएगी?--- भाग 2: आर्ट फेस्टिवल