एक लड़का

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भाग-1बारिश की बूँदें खिड़की के शीशे पर धीमे-धीमे बज रही थीं। कमरे में बस एक पुराना बल्ब जल रहा था, जिसकी पीली रोशनी दीवारों पर थकान की परछाइयाँ खींच रही थी। उसी रोशनी के नीचे एक लड़का बैठा था — नाम उसका अरमान।उसके सामने एक पुरानी डायरी खुली थी। पन्नों पर स्याही के दाग थे, जैसे किसी ने बीच में ही लिखना छोड़ दिया हो। अरमान ने पन्ने पर उँगलियाँ फेरते हुए कहा,"लोग सोचते हैं, मेरी ज़िंदगी कहानी जैसी है… लेकिन असल में, ये कहानियाँ अभी पूरी ही नहीं हुईं।"पहला किस्सा — बचपन का।एक छोटा कस्बा, जहाँ हर सुब