विक्रम गुस्से में एकांक्षी की तरफ घूरता हुआ कहता है..." तुम्हारी इतनी हिम्मत..."अब आगे..............विक्रम काफी गुस्से में आ जाता है ....." युवराज माणिक ....आप इनके पास नहीं आ सकते...." एकांक्षी की तरफ से आवाज़ आती है और तुरंत उसके दिल से एक रोशनी निकलती है जो उसी बौने का रूप ले लेती है......विक्रम तिलमिलाते हुए कहता है....." तुम जानते हो प्रेषक तुम किससे बात कर रहे हो , , एकांक्षी हमारा प्रेम है , उसपर केवल हमारा अधिकार है ....."" हम आपको जानते हैं युवराज , किंतु हमारा भी दायित्व है। इनकी सुरक्षा करना...."विक्रम उसी गुस्से में कहता है....." तुम्हारा