सत्या के लिए मेरे दोनों चेहरे सच्चे थे नफरत , ईगो वाला भी और साइलेंट लव वाला भी । करीब होने पर उनका हाथ पकड़ना उन्हें देखना ऐसी चीज थी जिसमें मेरा न दिल काबू में था न दिमाग और उनके पास आने पर दूर भागना मेरे दिमाग की उपज रहती थी । एक पल लगता की खुद को रोक लू क्या पता ये गहरा गड्ढा हो और फिर दूसरे पल लगता क्या पता ये वही हो अभी दिख रहा नहीं हो। और फिर अचानक से दिल रुक जाता की मैं उतनी खास भी तो नहीं हु अगर इसे सब