"आख़िरी ख़त" ️ सुबह की हल्की धूप खिड़की से सुनहरी परछाइयाँ कमरे में बिखेर रही थी। सिया अपनी अलमारी में पुराने कागज़-पत्र और किताबें टटोल रही थी।कपड़ों के ढेर के बीच उसे एक पुराना, हल्का-सा पीला लिफ़ाफ़ा मिला।लिफ़ाफ़े से अब भी हल्की-सी खुशबू आ रही थी — जैसे किसी ने यादों को मोहब्बत से सील कर रखा हो। उसने काँपते हाथों से लिफ़ाफ़ा खोला। अंदर एक हाथ से लिखा ख़त था, नीली स्याही में लिखी पहचान वाली लिखावट…दिल की धड़कन अचानक तेज़ हो गई — यह आरव का था। वही आरव, जिसका नाम सुनते ही सिया की आँखों में