ब्रम्हदैत्य - 4

️ भाग 4 – गांव की राहें  चांडालेश्वर बाबा की कुटियाऑटो सड़कों को पीछे छोड़ता जा रहा था।रिया की माँ सुनीता, अपने बेटे आयुष के साथ चुपचाप बैठी थीं।उनका चेहरा कुछ कह नहीं रहा था — लेकिन उनकी आंखें बहुत कुछ छुपा रही थीं।रिया बार-बार माँ की तरफ देखती, फिर बाहर झांकती।“मॉम... हम कहां जा रहे हैं?”कोई जवाब नहीं।शहर की सीमा पार होते ही रास्ता वीरान होने लगा।सड़क अब एक जंगल के रास्ते में बदल गई थी।चारों ओर घने पेड़, पक्षियों की हल्की आवाजें, और बीच-बीच में झाड़ियों की सरसराहट।तभी सुनीता ने एक ओर इशारा किया —“भैया, बस यहीं रोक