भाग 8: "आख़िरी सच… और वो क़दम, जो सब बदल देगा रचना: बाबुल हक़ अंसारी[सुबह — शहर की सुनसान गली में आर्यन का पीछा]आर्यन वेद के घर से निकल ही रहा था कि उसने पीछे एक हल्की आहट सुनी।कदमों की धीमी आवाज़… जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो।वो पलटा — पर वहां कोई नहीं था।सिर्फ़ गली के कोने पर एक काली कार खड़ी थी, जिसके शीशे धुंधले थे।उसके मन में