पुराने किले में हलचल.....गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े थे किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।।अब आगे.............रात के तीन बज चुके थे , , अभी भी सब तरफ बस हवा का शोर ही गूंज रहा था , , धीरे धीरे विवेक के शरीर में हलचल सी होने लगती है और उसके थोड़ी देर बाद विवेक अपनी आंखों को खोलकर ऊपर की तरफ देखते हुए धीरे धीरे सब तरफ नजरें घुमाने लगता है और अपने आस पास सबको बेसुध पड़े देखकर उसके चेहरे पर शिकंज आ जाती है...विवेक