श्रीनगर में सांगा का सैनिक पराक्रम कुँवर संग्राम सिंह को राठौड़ बींदा के सेवक मारवाड़ ले आए थे और वहाँ बहुत दिनों तक उनका उपचार किया। उनके घावों को भरने में बहुत समय लगा और जब उनकी आँख से पट्टी हटाई गई तो पता चला कि उनकी वह आँख पूरी तरह ज्योतिविहीन हो गई है। चंद्रमा में दाग लग गया, कामदेव सरीखे कुँवर साँगा का व्यक्तित्व अब अपूर्ण हो गया था, फिर भी उस वीर पुरुष ने धैर्य न खोया। वहीं उन्हें राठौड़ बींदा के महान् बलिदान के बारे में भी पता चला और उनका हृदय उनके प्रति श्रद्धा से भर