सुनहरी गलियों का प्यार - 4

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---🪷 भाग 1: हवेली की पुरानी अलमारीजान्हवी विराज को अपनी दादी की हवेली में ले जाती है — वहाँ एक पुरानी अलमारी है, जिसमें उसकी माँ की स्केचबुक और एक स्याही की बोतल रखी है।> “ये स्याही मेरी माँ की आखिरी निशानी है,” जान्हवी कहती है।  > “उन्होंने कहा था — जब दिल टूटे, तो इसे खोलना… शायद कुछ नया बन जाए।”विराज बोतल को देखता है — और कहता है:  > “शायद आज वो पल आ गया है।”--- भाग 2: स्याही की पहली बूंदजान्हवी स्टेशन की दीवार पर जाती है — और पहली बार रंगों की जगह स्याही से स्केच बनाती है।वो