टाम ज़िंदा हैं - 16

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  टाम ज़िंदा है.......... (16) धारावाहिक" साहब ! पता चला है रिपोटरो को वो जो दो हमारे ख़ुफ़िया थे। मार दिए बड़े गैंग ने। " ये समाचार उड़ गया था, सब कही। दो अपराधी जो प्रबदक की शाखा मे थे मारे गए।त्रिपाठी ने कहा था :- "कौन ऐसा घातक तीर छोड़े गा। ""न कोई गेंगबार, न कोई उन तक पहुंच, फिर कयो उनको मार दिया गया। " त्रिपाठी ने सोचा ही था। तभी दूर से उसने गाड़ी से उतरते नीली कोट पेंट मे अमरीश बाबू दिखे " "आज सुख है। " ये कह पाना ही काफ़ी था।तभी दूर से ----