सिपाही प्रणाली को महल लेकर आए। वो एकदम बेजान हो गई थी। उसकी बस आंखें खुली थीं और आंसू बह रहे थे।"तुरंत वैद्य को बुलाया जाए!" किसी ने कहा।कुछ ही देर में उसकी आंखें भी बंद हो गईं......और इस तरफ अगस्त्य की आंखें झटके से खुलीं।वो चिल्लाया —"प्रणाली...!"तभी अर्जुन उसके कमरे में आया —"भाई, आप ठीक तो हैं ना?" (उसने चिंता में पूछा)अगस्त्य हड़बड़ाया और इधर-उधर देखने लगा। फिर उसे याद आया कि यह एक सपना था।वो सोचने लगा —"नहीं... ये सपना सच नहीं हो सकता। अगर तुम्हें कुछ पता चल गया, तो मैं तुम्हें फिर खो दूंगा...""भाई...? आप क्या