(निशा और बेटी आद्या नागलोक से लौटती हैं, जहां आद्या का हथेली पर नागचिह्न उसे “नाग रक्षिका” बनाता है। सनी की माँ हेतल, निशा की कमजोरी को लेकर चिंता में है, जबकि सनी परिवार को सुरक्षित दूर ले जाने की तैयारी कर रहा है। साधु सनी को आधे मानव-आधे नाग के खतरों और गरुण भस्म की चेतावनी देता है। सनी को पता चलता है कि निशा पर एक नाग का संकट मंडरा रहा है, जो गर्भवती स्त्रियों को निशाना बनाता है। अब सनी को समय रहते अपने परिवार की रक्षा करनी है, क्योंकि अंधेरा सिर्फ रात नहीं, खतरे का संकेत