अब आगे, दोनों कार में बैठ गए। शुभ ने इंजन स्टार्ट किया, लेकिन कुछ देर तक गाड़ी चुपचाप चलती रही।दोनों ही जैसे अपने-अपने ख्यालों में खोए थे।सिद्धि ने खामोशी तोड़ी,"Thank you… मौका देने के लिए। अब बस जॉब लग जाए।"शुभ ने उसकी तरफ एक पल देखा,"मैंने कुछ नहीं किया। अगर आप capable होंगी, तो जॉब पक्की है।"कुछ सेकंड फिर खामोशी।शुभ मन ही मन सोच रहा था — मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ? क्यों इस लड़की की इतनी मदद करना चाहता हूँ?सुबह दिग्विजय अंकल ने बताया था कि कैसे एक लड़की ने जान की परवाह किए बिना उनका accident में बचाव