सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 10

                         भाग-10                रचना:  बाबुल हक़ अंसारी           “वो चुप्पी जो अब गवाही बनेगी…”पिछली झलक:   "अब कोई आवाज़ दबी नहीं रहेगी…" — अन्वीबारिश की हल्की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं।स्टूडियो में उस रात सिर्फ़ एक लाइट जल रही थी,बाकी हर कोना अंधेरे में डूबा हुआ था — जैसे वक्त भी इस सच्चाई के बोझ से झुक गया हो।आर्यन, अयान, आयशा और अन्वी — चारों मेज़ के चारों ओर बैठे थे।सामने फैले काग़ज़, फ़ोटो, और पुरानी रिकॉर्डिंग्स…हर चीज़ जैसे अपनी