सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 9

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                       भाग-9.               "शब्दों के पीछे छुपे जज़्बात"           रचना: बाबुल हक़ अंसारीपिछले अध्याय की झलक: “अगर वो कभी मेरी वजह से टूटे,तो उससे कहना — मेरी मोहब्बत कभी अधूरी नहीं थी,बस वक़्त ही कम पड़ गया…”शब्द कागज़ पर लिखे जाते हैं,पर असली जज़्बात अक्सर पन्नों के पीछे छुप जाते हैं।श्रेया की डायरी के पन्ने अब तीनों के सामने बिखरे थे,पर उनमें एक पन्ना अलग था —ना तारीख़ थी, ना कोई साफ़ शीर्षक। बस हल्की सी खुशबू और एक मुड़ा-कुचला गुलाब।आयशा ने धीरे