तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 49

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माथूर हाउसशाम के साए धीरे-धीरे गहराने लगे थे। समीरा अपने कमरे में टहल रही थी, हाथ में किताब थी, मगर उसका ध्यान पन्नों पर नहीं था। ठंडी हवा खिड़की से अंदर आकर उसकी बिखरी ज़ुल्फों से खेल रही थी, मानो कोई नटखट बच्चा अपनी शरारतों से उसे परेशान कर रहा हो।तभी घर की घंटी बजी।राधा रसोई में व्यस्त थी और अजय अभी तक ऑफिस से लौटा नहीं था।"बेटा, ज़रा देखना दरवाजे पर कौन है? मेरे हाथ आटे में सने हैं," राधा की आवाज़ आई।"ठीक है, माँ!" समीरा ने ज़ोर से जवाब दिया और किताब हाथ में पकड़े ही दरवाज़े की