अधूरी रात की बेचैनीकमरे की खिड़की से चाँद की हल्की रोशनी अंदर आ रही थी। तीनों लड़कियाँ—लवली, मिताली और अवनी—अपने-अपने बिस्तर पर बैठी थीं, लेकिन किसी की भी आँखों में नींद नहीं थी। संजना कि संध्या चाची ने उन सबको झकझोर दिया था। पर सबसे ज्यादा परेशान लवली थी। उसका मन अशांत था, दिल तरह-तरह की आशंकाओं में घिरा हुआ था। संध्या चाची की बातें उसके कानों में बार-बार गूंज रही थीं—"अगर तुम लोग उसे डिस्को नहीं ले जातीं, तो वो आज घर पर होती।"लवली का हृदय ग्लानि से भर गया। वह भावुक स्वभाव की थी, छोटी-छोटी बातें भी उसे