समीक्षा - जब से आंख खुली है - लीलाधर मंडलोई - जीवंत स्मृतियों का शिलालेख

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                 एक कहावत है कि एक असफल लेख़क एक अच्छा समालोचक होता है । मैं भी अपने आप को इसी कोटि में रखकर पुस्तकों की समीक्षाएं लिखता रहता हूं। अभी मैने आकाश वाणी के महानिदेशक पद से सेवा निवृत्त श्री लीला धर मंडलोई की लिखी आत्मकथा "जब से आँख खुली है " पढ़ी |उन की लेखन शैली से बहुत प्रभावित हुआ हूँ |इस उम्र में उन की स्मृतियों की भी सराहना करता हूँ जिन्हें उन्होंने इस पुस्तक में जीवंतता दी हैं | लेकिन जो बात प्राय:खटक  रही है वह  है लेखक द्वारा भूख, अभाव  का