"कॉलेज की वो पहली बारिश"लेखक: Abhay marbate > "कुछ यादें किताबों में नहीं मिलतीं, वो कॉलेज की गलियों में मिलती हैं..."पहला दिन – पहली नज़रसाल का जुलाई महीना था। बारिश की फुहारों के बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज का पहला दिन। मैं, अविनाश, गाँव से आया एक सिंपल लड़का, जो बस अपने सपनों को सच करने शहर आया था। सब कुछ नया-नया था – बड़े-बड़े क्लासरूम, अनजाने चेहरे, और तेज़ भागती ज़िंदगी।वहीं उसे पहली बार देखा – काव्या।लाल रेनकोट में, हाथ में छतरी लिए, कॉलेज के गेट से अंदर आती हुई। उसकी मुस्कुराहट बारिश की बूंदों से भी ज़्यादा ताज़ा