---🪷 भाग 1: हवेली की छतजान्हवी विराज को अपनी पसंदीदा जगह पर ले जाती है — एक पुरानी हवेली की छत, जहाँ से पूरा जयपुर दिखता है।वहाँ हवा तेज़ है, लेकिन माहौल शांत।> “यहाँ मैं आती हूँ जब मुझे खुद से बात करनी होती है,” जान्हवी कहती है।विराज मुस्कराता है — > “और क्या खुद जवाब देती हो?” > “नहीं… बस सवालों को हवा में छोड़ देती हूँ।”--- भाग 2: विराज की तस्वीरविराज उसे एक तस्वीर दिखाता है — एक लड़की, दीवार के सामने बैठी, हाथ में ब्रश और आँखों में आँसू।जान्हवी तस्वीर को देखती है — और चौंक जाती है।> “ये…