त्रिकाल - रहस्य की अंतिम शिला - 6

पुनर्पाठ (Recap):पिछले अध्याय में रुद्र ने त्रिलोक-सेतु के दरवाज़े पर खड़े होकर “काल के पार” की एक झलक देखी थी—वहां समय थमा नहीं था, बल्कि बह रहा था उल्टी दिशा में। ब्रह्मांडीय ऊर्जा की झंकार ने न केवल रुद्र को भीतर तक हिला दिया, बल्कि उसे “दृष्टा” बनने का संकेत भी दिया। एक नई यात्रा शुरू हुई, लेकिन यह यात्रा केवल स्थानों की नहीं, बल्कि चेतना की थी।कथा आरंभ:अरण्यखंड के गहनतम क्षेत्र में, जहाँ सूर्य की किरणें भी पेड़ों की छाँव से हार मान लेती थीं, रुद्र, वेदिका और प्रोफेसर ईशान वर्मा एक रहस्यमयी ऊर्जा स्रोत की ओर बढ़ रहे