छाया भ्रम या जाल - भाग 4

भाग 4: पार्क में पहुँचते ही छाया ने विवेक को ढूँढ़ने की कोशिश की. शाम के 6 बजे थे. सूरज अपनी हल्की नारंगी रोशनी बिखेर रहा था, लेकिन पेड़-पौधों की परछाइयाँ लंबी होने लगी थीं. पार्क में बच्चे खेल रहे थे, कुछ लोग टहल रहे थे, पर विवेक कहीं नज़र नहीं आया. तभी एक बेंच पर बैठे एक व्यक्ति ने अपना हाथ उठाया. वह लगभग 30 साल का रहा होगा, सामान्य कद-काठी का, चश्मा पहने हुए और गंभीर चेहरे वाला. उसने एक साधारण टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. यह वही विवेक था.छाया हिचकते हुए उसकी तरफ़ बढ़ी. "आप विवेक हैं?"