पार्ट 7 – चौथा साया(“तुम… तुम तो पापा के…!”)अवनि की चीख पूरे कमरे में गूंज गई। सामने खड़ा आदमी अब पूरी रोशनी में था — चुभती आँखें, झुका हुआ चेहरा और माथे पर हल्का सा टीके का निशान।अवनि के मुँह से धीरे से निकला —"ये… ये तो पापा के जुड़वा भाई हैं!"माँ काँप उठीं। "नहीं... नहीं अवनि… इसे मत पहचानो। ये वही है जो तुम्हारे पापा के पीछे पूरी ज़िंदगी पड़ा रहा।"आदमी धीरे-धीरे आगे बढ़ा और खंजर को ज़मीन पर रख दिया। उसकी आवाज़ एकदम शांत, लेकिन अंदर से ज़हर भरी थी –“इतने सालों बाद आज फिर वही हवेली… वही