प्रणाली (संदेह से बाबा को देखते हुए): आप... आप कुछ जानते हैं?(बाबा ने तुरंत नज़रें फेर लीं और बात बदल दी)बाबा (गंभीर स्वर में): तुम बस बाहर पहरा दो... अभी और कोई सवाल मत करो।बाहर प्रणाली के सिपाही आ चुके हैं, लेकिन उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आ रहा...सिपाही आपस में बातें करते हैं —पहला सिपाही: कुछ दिख क्यों नहीं रहा? क्या वो यहीं है?दूसरा सिपाही: पता नहीं... जैसे कुछ अदृश्य ताक़त हमें भ्रमित कर रही हो।अगला दिन हुआ...सिपाही अब भी उसकी तलाश में हैं और आसपास ही कहीं मंडरा रहे हैं... पर नतीजा शून्य।शाम हो चुकी है, पर स्थिति