भाग-8 रचना:बाबुल हक़ अंसारी "सुरों के दरमियान वो ख़ामोशी"(नए पात्र की रहस्यमयी एंट्री के साथ)पिछले भग: की झलक: “अगर मेरी धुन अधूरी लगे कभी,तो बस… आंखें मूंद कर गा देना —मैं वहीं रहूँगा, तुम्हारी आवाज़ में…”स्टूडियो में अब सन्नाटा था।आयशा की गायी धुनें रेडियो पर बज रही थीं, लेकिन अयान की आँखें बार-बार उसी पुरानी चिट्ठी पर टिक जातीं।उसे लग रहा था — कुछ और था इस चिट्ठी के पीछे,जैसे कोई कहानी जो आर्यन ने अधूरी छोड़ी हो… जानबूझ कर।उसी शाम, स्टूडियो के गेट पर