कल्कि : अंतिम युद्ध

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"जब अधर्म अपने चरम पर होगा..."" जब सत्य को कुचल दिया जाएगा..." "जब कलियुग की रात अंधकार में सब कुछ निगल जाएगी..." "तब वह आएगा... एक घोड़े पर सवार..." "श्वेत वज्र की तरह तेज़, और क्रोध की ज्वाला जैसा प्रचंड..." "न वह सिर्फ योद्धा है... न ही सिर्फ देवता..." "वह है — समय का अंतिम न्याय!" "वह है — कल्कि!"  प्रस्तावना - कल्कि भागवान के एक आवतार कि कथा है जो अभी नही हुई है जो होने वाली है। जो एक महाकव्यात्मक है। उसी के विषय में ये बुक को लिखा हुँ। ये बुक को लिखने का माध्यम हमारा सिर्फ मनोरजन