रचना: बाबुल हक़ अंसारी भाग. 6 “जिसे रूह ने छोड़ा नहीं…” – रिया की दुनिया, बिना अयान के] रिया अब भी उसी शहर में थी,पर वो लड़की नहीं रही थी जो अयान के साथ भाग जाने को तैयार थी।अब वो एक स्कूल में संगीत पढ़ाती थी —धुनें उसकी सिसकियों को ढक लेती थीं।हर सुबह वो वही स्कार्फ पहनती, जो अयान ने आख़िरी बार उसे दिया था।एक शाम, उसकी पुरानी दोस्त श्रुति मिलने आई।बातों-बातों में उसने पूछा — “अब भी किसी के इंतज़ार में