तुम वो शाम हो - 4

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---️ भाग 1: स्टेशन की हलचलमुंबई का स्टेशन आज कुछ ज़्यादा ही भीगा हुआ था।  प्राची अपनी स्केचबुक लेकर आई थी — एक नई दीवार पर कुछ नया रचने के लिए।वो सोच रही थी — क्या आरव आएगा? या वो खत जो मैंने उसे दिया था, अब तक अनपढ़ा ही है?तभी एक अफरा-तफरी मचती है — एक लड़का गिर पड़ा है, लोग इकट्ठा हो रहे हैं।वो लड़का आरव है।--- भाग 2: अस्पताल की खामोशीआरव को अस्पताल ले जाया जाता है — सिर पर चोट, लेकिन होश में है।प्राची वहीं है — उसकी आँखों में डर है, लेकिन हाथों में हिम्मत।वो आरव