सुनहरी गलियों का प्यार - 2

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--- एपिसोड 2 — रंगों में उलझी रेखाएँथीम: जब पहली मुलाक़ात के बाद दिल सवाल पूछने लगे, और जवाब सिर्फ दीवारों पर मिलें---🪷 भाग 1: दीवार की दरारेंजान्हवी उस दीवार के सामने खड़ी थी जहाँ उसने विराज से पहली बार बात की थी।  वो मोर अब अधूरा नहीं था — लेकिन उसकी आँखें अब भी खाली थीं।उसने ब्रश उठाया, लेकिन हाथ काँप रहे थे।  वो सोच रही थी — क्या वो लड़का सिर्फ एक मुस्कान था, या कोई कहानी जो अब मेरी स्केचबुक में उतरने वाली है?तभी रीमा आई — उसकी सबसे करीबी दोस्त।> “तू फिर उसी दीवार के पास?”  > “हाँ… शायद