रांची का एक छोटा शहर, जहां क्रिकेट एक सपना था — वहीं एक लड़का, लंबे बालों और शांत आंखों वाला, बल्ला थामे खड़ा था। महेन्द्र सिंह धोनी।दुनिया ने जिसे बाद में कैप्टन कूल कहा, वह ना तो क्रिकेट खानदान से था, ना ही कोई चकाचौंध उसकी राहों में बिछी थी। लेकिन उसके सीने में आग थी — कुछ कर दिखाने की।रेलवे स्टेशन पर टिकट चेक करने वाला यह युवक दिन में ड्यूटी करता, रात में नेट्स पर पसीना बहाता। उसके लिए क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि पूजा थी।2004 में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया। पहले मैच में जीरो पर रनआउट हुए