भाग 8: सायों का शिकार 21 सितंबर 1973 की रात सैंटियागो में अंधेरा गहरा था, जैसे चिली की आत्मा काले सायों में डूब गई हो। सड़कों पर सैनिकों की बूटों की गड़गड़ाहट और DINA के काले वैन की आवाजें गूँज रही थीं। हर घर में खामोशी थी, पर यह खामोशी डर की थी, जो हड्डियों तक समा चुकी थी। ऑगस्तो पिनोशे अपने सैन्य मुख्यालय में बैठा था। उसकी मेज पर एक पुराना रेडियो बज रहा था, जिसमें उसका ही भाषण दोहराया जा रहा था—“चिली मेरे नियमों से चलेगा। दुश्मन जीवित नहीं रहेंगे।” उसकी उंगलियाँ मेज पर रखे चाकू को सहला रही