तुम वो शाम हो - 3

---️ भाग : वो शाम फिर आईमुंबई की बारिश फिर लौट आई थी — वही पुरानी स्टेशन, वही बेंच, लेकिन इस बार प्राची वहाँ नहीं थी।  आरव अकेला बैठा था, हाथ में एक पुरानी छतरी और दिल में एक नई उम्मीद।उसने अपनी डायरी खोली और लिखा:> *“बारिशें लौटती हैं…  > पर क्या वो लोग भी लौटते हैं जिनसे दिल भीगता है?”*तभी एक आवाज़ आई —  “छतरी में जगह है?”  वो प्राची थी।--- भाग : छतरी के नीचेछतरी छोटी थी — लेकिन दोनों उसमें समा गए।  बारिश तेज़ थी, लेकिन उनके बीच की खामोशी और भी तेज़।> “तुमने मुझे बुलाया?” प्राची ने पूछा।  > “नहीं… लेकिन उम्मीद