प्रकृति (धीरे से, आँखों में पहचान के साथ):"रिद्धि...? ये तो वही लड़की है जो तीन साल पहले मुझसे मिली थी..."एक ठंडी आह उसके सीने से निकल गई। इतनी सारी यादें पल भर में लौट आईं। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। ये इस हालत में कैसे....? तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वो घबराकर तेजी से पलटी—प्रकृति (हल्की चीख के साथ):"मि. रघुवंशी...?!"पर सामने डॉक्टर मित्तल खड़े थे।डॉ. मित्तल (हैरानी से):"आप तो पेशेंट हैं न...? यहाँ क्या कर रही हैं आप?"प्रकृति (जल्दी से आँखें छुपाते हुए):"मैं... रास्ता भूल गई थी..."इतना कहकर वो बिना जवाब सुने वहाँ से निकल गई।जब वो