बेटी या बेटा - मोहब्बत की मुस्कुराहट(जहां मोहब्बत की मेहरबानी, एक नन्हीं सी मुस्कान बनकर जिंदगी को सजाती है...)बरसों की मेहनत, संघर्ष और तपस्या के बाद, जब एक समय ऐसा आया कि दानिश और आरजू की ज़िन्दगी सिर्फ किताबों और अफसरों की दुनिया नहीं रही, तो उनके जीवन में एक नन्हा सा मेहमान आ गया। आरजू के होंठों पर हल्की मुस्कान थी, आंखों में दर्द और उम्मीद की लकीरें और दानिश की हथेली उसकी हथेली में कस कर बंधी हुई थी।"सब ठीक हो जाएगा... मैं हूं न यहां।"दानिश ने धीरे से कहा, मानो उसके शब्द ही दवा हों।अस्पताल के उस