इतिहास से छेड़छाड़.. - 2

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पाश्चात्य रंग में रँगे और आंग्ल-रागी नेहरू ने भारतीय विरासत एवं ऐतिहासिक अतीत को पश्चिमी चश्मे से देखा व समझा तथा उनके लेखन में भी वही पूर्वाग्रह और गलत निरुपण परिलक्षित होते हैं। यहाँ पर ‘द डिस्कवरी अ‍ॉफ इंडिया’ में नेहरू द्वारा की गई एक सरल, लगभग नासमझी भरी, टिप्पणी प्रस्तुत है, जो अभिमानी धृष्टता और दूसरों को नीचा दिखाने वाले पश्चिमी दृष्टिकोण से भरी हुई है— “इसके बावजूद मैंने उसे (भारत को) एक बाहरी आलोचक की नजर से देखना शुरू किया। एक ऐसा आलोचक, जो वर्तमान के साथ-साथ अतीत के बहुत से अवशेषों, जिन्हें उसने देखा था, को नापसंद करता