इतिहास से छेड़छाड़.. - 1

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निषेधमात्रवाद क्या है? “निषेधमात्रवाद का मतलब है—मानवता के खिलाफ ऐतिहासिक अपराधों को नकारना। यह ज्ञात तथ्यों की पुनर्व्याख्या नहीं है, बल्कि ज्ञात तथ्यों को पूरी तरह से नकारना है। ‘निषेधमात्रवाद’ शब्द को महत्ता तब से मिली है, जब से मानवता के विरुद्ध किए गए एक बड़े अपराध, वर्ष 1941-45 के दौरान नाजियों द्वारा यहूदियों के किए गए नर-संहार, जिसे सर्वनाश (holocaust) के रूप में भी जाना जाता है, को खारिज करने का प्रयास किया गया।” —कोनराड एल्स्ट (के.ई./3) निषेधमात्रवाद ऐतिहासिक तथ्यों या फिर रिकॉर्ड के नाजायज तरीके से जानते-बूझते विरूपित करना या फिर उसे नकारना है। भारत के संदर्भ में यह उन